yoga surya namaskar in hindi
सूर्य नमस्कार का प्रभाव पुुरे शारीर पर देखा जा सकता है
Surya Namaskar-सूर्य नमस्कार भारतीय yoga योग की अनेक योग क्रियाओं में से एक योग क्रिया है! सूर्य नमस्कार का प्रभाव पुुरे शारीर पर देखा जा सकता है !लेकिन क्या
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार आध्यात्मिक साधना करने वालों के लिए भी फायदेमंद है ? क्या ये मन और विचारों पर भी प्रभाव डाल सकता है ? आमतौर पर
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार को एक कसरत exercise माना जाता है जो आपकी पीठ और मांसपेशियों को मजबूत और शक्तिशाली बनाती है लेकिन
Surya Namaskar-सूर्य नमस्कार ये सब करने के साथ साथ और भी बहुत सी चीज़ें करता है ! ये शारीरिक तंत्र का सम्पूर्ण अभ्यास है !
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार व्ययाम का एक व्यापक रूप जिसे किसी उपकरण की ज़रूरत नही होती मगर
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार अपने आप में एक पूर्ण यंत्र है जो मनुष्य को अपने जीवन के बाध्यकारी स्वरूपों से आज़ाद होने में समर्थ बनाता है !
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार का अर्थ है शरीर को सोपान बनाना सुबह में सूर्य के आगे झुकना ! सूर्य इस धरती पर जीवन का स्त्रोत है !
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार का अर्थ है
आप जो कुछ खाते है पीते है और या साँस से अंदर लेते हैं उसमें सूर्य का एक तत्व होता है ! जब ये सीख लेेते है कि सूर्य को बेहतर रूप में आत्मसाध कैसे करना है !
उसे ग्रहण करना अपने शरीर का हिस्सा बनाना सीखते है तब वाकई आप इस प्ररक्रिया का लाभ उठा सकते हैं ! भौतिक शरीर उच्चतर संभावनाओं के लीये एक शानदार सोपान (सीढी ) है !
मगर ज़्यादातर लोगों के लिए यह एक रोड़े की भांति काम करता है !उनका शरीर उन्हें आध्यात्मिक पथ पर आगे नही बढ़ने देता !
सौरचक्र के साथ तालमेल में होंने से संतुलन और ग्रहणशीलता मीलती है ! Surya namaskar- सूर्य नमस्कार शरीर को उस बिंदु तक ले जाने का माध्यम है
जहाँँ वह कोई बाधा नही रह जाता ! सौर्य चक्र के साथ तालमेल ये शारीरिक तन्त्र के लिए एक सम्पूर्ण अभ्यास है !
Surya Namaskar- सूर्य नमस्कार व्ययाम का एक व्यापक रूप है जिसके लिये कीसी उपकरण की ज़रूरत नहीं होती !
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार का मकसद मुख्य रूप से आपके अंदर ऐसा आयाम निर्मित करना है जहां आपके भौतीक चक्र सूर्य के चक्र के तालमेल में होते हैं !
यह चक्र लगभग 12 साल और तीन महीने का होता है ! ये कोई संयोग नहीं है बल्कि जानबूझकर
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार में 12 मुद्रााएं या 12 आसन बनाये गये हैं ! अगर आपके शरीर में सक्रियता और
तैयारी का एक निषचित्त स्तर है !
Surya-Namaskar |
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार में 12 मुद्रााएं या 12 आसन बनाये गये हैं !
और वो एक बेहतर अवस्था में है तो कुदरती तौर पर आपका चक्र सौर्य चक्र के तालमेल मेंं होगा !युवा स्त्रीयोंं को एक लाभ होता वह चंद्र चक्रों के साथ भी तालमेल मेंं होती हैं !
यह एक जबरदस्त संभावना है कि आपका शरीर दोनों चक्रों , सूर्य चक्रों और चंद्र चक्रों दोनों के साथ जुड़ा हुुुुआ है ! कुदरत ने स्त्री को ये सुविधा दी है !
क्योंनकी उसे मानव जाति को बढ़ाने की अतिरिक्त ज़ीमेेदारी सौपी गयी है इसलिए उसे कुछ अतिरिक्त सुविधाएं दी गई हैं !मगर बहुत से लोगों को ये पता नहीं होता कि
इस संबंध से उत्प्न इस अतिरिक्त ऊर्जा को कैसे संभाले इसीलिए वे इसे एक अभिशाप की तरह बल्कि एक पागलपन की तरह मानते हैं !
Loonnar लूनर यानिकि चंद्रमा सम्बन्धी से looni लूनी यानी विक्षिप्त बनना प्रमाण है ! Cyclic चक्रीय से परे जाने के लिए चक्रों का इस्तेमाल चंद्र चक्र जो सबसे छोटा चक्र 28 दिन का चक्र है !
और सौर्य चक्र 12 वर्ष 3 महीने का सबसे बड़ा चक्र है ! दोंनों के बीच और भी बहुत सारे चक्र होते हैं ! चक्रीय या cyclic ampसाइक्लिकल शब्द का अर्थ है दोहराव !
दोहराव का अर्थ है कि वह विवशता पैदा करता है ! विवशता का मतलब है कि वह चेतनता consciousness के लिए अनुकूल नहीं है !
आप ध्यान दें तो ये चक्र तीन या छः महीने में आपके पास लौटते हैं ! अगर ये 12 साल या ज़्यादा समय में लौटते तो आपका शरीर ग्रहणशीलता और संतुलन के अच्छे स्तर है !
Surya namaskar-सूर्य नमस्कार एक प्रक्रिया है जो इसे सम्भव बनाती है ! साधना हमेेेेशा चक्र को तोड़ने के लिए होती है ताकि आपके शरीर में और बाध्यता ना हो !
और आपके पास चेतनता के लीए सही आधार हो ! चक्रीय गति या चक्रों की आवर्तीक प्रकृति जिसे हम साधरण रूप से संसार के नाम से जानते हैं ! जीवन के निर्माण के लिए स्थिरता लती है !
अगर ये सब बेतरतीब होता तो एक स्थिर जीवन का निर्माण नही होता ! इसलिए सौर्य चक्र और व्यक्ति के लिए चक्रों में जमे रहना जीवन की दृढ़ता और स्तिरथा है !
हर व्यक्ति के लिए चक्रीय प्रकृति में जमे रहना जीवन की दृढ़ता और स्थिरता है मगर एक बार जब जीवन विकास के उच्च स्तर पर पहाड़ जाता है ! जहां इंसान पहुंच चुका है तो सिर्फ स्थिरता नहीं बल्कि परी जाने की इच्छा स्वाभाविक रूप से पैदा होती है !
ये इंसान पर निर्भर करता है की वो चक्रीय प्रकृति में फंसा रहे जो भौतिक अस्तित्व का आधार है या इन चक्रों को आर्थिक कल्याण के लिए इस्तेमाल करें और उन पर सवार होकर चक्रीय से परे चला जाए !
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Reviewed by GREAT INDIA
on
March 14, 2020
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