indian culture and heritage
India's cultural heritage flows from 5000 year old culture and civilisation
India culture कला और विरासत का पहले से ही केंद्र रहा है बात चाहे भाषा की हो धर्म की त्योहारों की संगीत की इमारतों की किसी भी प्रकार की कला की या बात फिर पहनावे की ही क्यों ना हो India culture हमेशा से ही परिवर्तन और निरंतरता जैसी विशेषताओं को सहेजे हुए हैं बीते दिनों सांस्कृतिक स्थल के रूप में भारत के द वर्ल्ड सिटी ऑफ जयपुर को विश्व विरासत स्थल का दर्जा मिला है !यूनेस्को ने यूनेस्को विश्व विरासत समिति के 43वे सेशन के दौरान पिंक सिटी जयपुर का दर्जा दिया वहीं दूसरी तरफ विशाखापत्तनम में जियो हेरिटेज वॉक जिसका मकसद जियोलॉजिकल हेरिटेज के बारे में जागरूकता फैलाना है ऐसे एकल एकीकृत भौगोलिक क्षेत्र हैं जहां सुरक्षा शिक्षा और सतत विकास के समग्र उदाहरण के साथ अंतरराष्ट्रीय भू वैज्ञानिक महत्व के स्थलों का प्रबंधन किया जाता है
ऐसे में सवाल है कि भारत में सांस्कृतिक विरासत की बहुलता होने के बावजूद इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार कर पाए हैं साथी क्या भारत cultural heritage को पर्यटन के क्षेत्र में लाने में पीछे तो नहीं रह गया तेज़ी से बढ़ते औद्योगिकीकरण और सरकार की अनदेखी के चलते यह सवाल भी मन में कौधना लाजमी है कि कहीं सरकार भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में चूक तो नहीं रही है लेकिन सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सांस्कृतिक विरासत क्या है
Indian culture
जैसे मानवता ने संपूर्ण रूप में जिस culture को विरासत के रूप में अपनाया उसे मानवता की विरासत कहते हैं एक राष्ट्र भी culture को विरासत के रूप में प्राप्त करता है जिसे राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत कहते हैं सांस्कृतिक विरासत में वे सभी पक्ष याा मूल्य सम्मिलित हैं जो मनुष्यों को पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों से प्राप्त हुए हैं ! ये मूल्य पोषित और सुरक्षित रखे जाते हैं ताकि अपनी अगली पीढ़ी को सौंपा जा सके ताजमहल दिलवाड़ा जैन मंदिर निजामुद्दीन औलिया की दरगाह अमृतसर का स्वर्ण मंदिर cultural heritage के कुछ बेहतरीन उदाहरण है वास्तु संबंधित इन रचनाओं इमारतों शिल्प कृतियों के अलावा बौद्धिक उपलब्धियां दर्शन ज्ञान के ग्रंथ वैज्ञानिक आविष्कार और खोज भी विरासत का ही हिस्सा है
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जैसे योगदर्शन भारत की प्रगाड़ cultural heritage का ही एक हिस्सा है असल में culture परिवर्तनशील होती है जबकि विरासत परिवर्तनशील नहीं है इस ऐसे समझा जा सकता है कि हम सभी culture या निश्चित समूह से संबंध रखते हुए भी दूसरे समुदाय या culture से सांस्कृतिक गुणों को ले सकते हैं लेकिन हमारे जुड़ाव भारतीय सांस्कृतिक विरासत के साथ नहीं बदलता हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत हमें भारतीय साहित्य और धर्म वेद उपनिषद द्वारा आपस में जोड़ने का काम करती है दूसरे शब्दों में कहें तो यह culture ही है जो बहुत संगठनों और समाज में विविधता आती है और येे विविधता ही भारतीय सांस्कृति विरासत की पहचान है
लेकिन सांस्कृतिक विरासत के प्रकारों पर भी नजर डालें cultural heritage को तीन प्रकार से देखा जा सकता है ! पहला है Built heritage जैसे इमारतें स्थापत्य कला इत्यादि दूसरा नेचुरल एनवायरमेंट जैसे ग्रामीण लैंडस्केप शोरलाइन आदी और तीसरा कलाकृतियों से संबंधित सांस्कृतिक विरासत जैसे किताबें दस्तावेज चित्रकला इत्यादि इसके अलावा इसे मूर्त और अमूर्त में बांटकर भी समझा जा सकता है विरासत ना केवल मूर्त रूप जैसे की कलाकृतियों इमारतों या प्रदेशों के माध्यम से प्रकट होती है बल्कि अमूर्त रूपों के माध्यम से भी प्रकट होती है अमूर्त विरासत में मूल्य परंपरा मौखिक इतिहास इत्यादि शामिल हैं
आज हम मूर्त विरासत को अमूर्त विरासत से जोड़कर देखते हैं संरक्षण पर योजनाओं में हम मूर्त के साथ-साथ अमूर्त विरासत को संरक्षित करना चाहते हैं साइमन thrle नेे 2005 में विरासत को समझाते हुए यह बताया कि कैसे इसके द्वारा हम अपने बीते हुए को अपने भविष्य के लिए उपयोगी बना सकते हैं उनका कहना था कि जैसे-जैसे लोगों में cultural heritage की समझ बनती है वैसे वैसे वो उसके महत्व को समझते हैं इसके चलते लोग उसका संरक्षण करना चाहते हैं ! वो लोगों में उत्साह और खुशी का संचार करता है वह लोगों में इसे समझने की ललक पैदा करता है इसके महत्व को बताता है ! सांस्कृतिक विरासत का एक चक्र चलता है सांस्कृतिक विरासत के महत्व पर नजर डालते हैं
cultural heritage चक्र द्वारा सांस्कृतिक विरासत के महत्व को कुछ हद तक हम समझ चुके हैं इसके अलावा सांस्कृतिक विरासत का राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक महत्व तो है ही साथ ही सांस्कृतिक विरासत द्वारा समाज में नैतिक मूल्यों को स्थापित करना भी आसान हो जाता है बात राजनीतिक महत्व की करें तो कृषि कार्य के आरमभं के साथ वैदिक काल से लेकर महाजनपद काल मुुुग़ल से लेकर ब्रिटिश काल यहां तक कि उसके बाद भी लगातार cultural heritageका प्रसार और बढ़ोतरी हुई है देखा जाए तो
राजनीतिक पद्धतियों के अलग-अलग स्वरूप में नई-नई सांस्कृतिक विरासत को जन्म दिया जैसे किसी काल में वास्तुकला का विकास हुआ तो कहीं लिपि और भाषा कहीं कृषि तो कहीं चित्रकला का बात सामाजिक महत्व की जाए तो सांस्कृतिक विरासत विश्वासों से जीवन की शैली से आध्यात्मिक पक्ष से भौतिक पक्ष से निरंतर जुड़ी है यह हमें जीवन का अर्थ जीवन जीने का तरीका सिखाती है मानव ही culture का निर्माता है और साथ ही culture मानव को मानव बनाती है सांस्कृतिक विरासत विश्व के जुड़ने से और अधिक समृद्ध होती जाती है इससे मानव ना केवल अधिक व्यापक वैश्विक स्तर पर जीने लगता है बल्कि इससे आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है
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indian culture and heritage
इन सबसे इतर अगर आर्थिक लाभ की बात की जाए तो सांस्कृतिक विरासत द्वारा इतिहास और नवाचार के साथ व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन पर्यटन हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग को बढ़ाया जा सकता है जो किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि और विकास का एक बड़ा स्रोत बन सकता है पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ देशी पर्यटकों के माध्यम से एकीकरण की अवधारणा को बल प्रदान किया जा सकता है लेकिन जरूरी सवाल यह है कि क्या भारतीय cultural heritage इतनी समृद्ध होने के बावजूद इसका उतना अधिक आर्थिक लाभ उठा पाई है जिसमें सबसे बड़ा प्रश्न पर्यटन क्षेत्र को लेकर है
इतिहास पर नजर डालें तो सांस्कृतिक विरासत ने धीरे-धीरे आर्थिक विकास के पहिए को बढ़ाने में निसंदेह योगदान तो दिया है लेकिन इसमें रणनीति का अभाव शुरुआत से ही देखने को मिला है जहां एक और सिंगापुर जैसे देश बिना किसी मजबूत सांस्कृतिक पहचान के भी खुद की अर्थव्यवस्था की दूरी पर्यटन को बनाकर तेजी से आगे बढ़ गए वहीं तमाम तरह की विरासत और culture को सहेजे भारत का उस स्तर तक लाभ उठाने में दूर खड़ा दिखाई देता है ! पर्यटन स्थल को सूचीबद्ध करने में भी भारत असमर्थ रहा है इसके अलावा जो सांस्कृतिक विरासत संबंधित पर्यटन सूचीबद्ध है उसका संरक्षण, मरमत और उसका अंतर्राष्ट्री स्तर पर प्रचार एक अलग ही कहानी कहते हैं
जहां एक तरफ भूटान बौद्ध धर्म से संबंधित पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में कामयाब हुआ वहीं बौद्ध धर्म की शुरुआत करने वाला देश भारत इस क्षेत्र में ना तो अपनी पहचान बना पाया और ना ही इसके लिए कोई तेजी से प्रसार करता दिखाई देता है जबकि हमें यह समझना होगा कि तमाम धर्मों को मानने वाले लोग इस पूरी दुनिया में हैं जिन्हें भारत अपनी और पर्यटन के लिहाज से आसानी से आकर्षित कर सकता है गौर से देखा जाए तो स्थलों की कमी नहीं है कमी है तो क्रियान्वयन और प्रोत्साहन की
हमे समझना होगा कि दक्षिण भारत के द्रविड़ शैली के मंदिर और उत्तर का हिमालय, पूर्व की जैविक विविधता पश्चिम का रेगिस्थान व मध्य भारत का स्थापत्य कला में समृद्ध होना भारत मे पर्यटक की अपार संभावनाएं समेटे हुए है ! भारत जैसे विविधता पूर्ण देश में जहां भाषा से लेकर त्योहार धर्म से लेकर खानपान स्थापत्य से लेकर संगीत और मौसम से लेकर जलवायु तक में विविधता की बहुत देखने को मिलती है विरासत को सहेज कर आगे बढ़ना बेहद जरूरी हो जाता है लेकिन इस ओर हमारा कम ध्यान चिंता की ऐसी लकीरें खींचता है जो माथे पर शिकन पैदा करते हैं और सरकार के कदम किस तरीके के हैं सबसे पहले हमें समझना होगा कि cultural heritage के लिए हमें हर बार नई शुरुआत नहीं करनी पड़ती बल्कि हम पूर्व पीढ़ी के द्वारा किए गए काम को उपयोग में लाने तथा उस पर आगे और निर्माण करने में सक्षम होते रहे हैं
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cultural heritage of india
जैसे आज हमें किसी लिपि की खोज नहीं करनी है यह सभी हमें विरासत में मिली है लेकिन इसमें कुछ जोड़कर आने वाली पीढ़ी के लिए समृद्ध बनाना है लेकिन गौर किया जाए तो ताजमहल का प्रदूषण से जूझना वास्तुकला का खतरे में पड़ता अस्तित्व धीरे-धीरे विलुप्त होते कला और culture इस बात का सूचक है कि हम इसे सहेज कर रख पाने में भी इतने सक्षम दिखाई नहीं देते cultural heritageसे राष्ट्र गौरव जुड़ा है बावजूद इसके सरकार न तो इसे पर्यटन से जुड़कर ही बहुत कुछ कर पाई है और न ही इनके संरक्षण को लेकर किसी तरह की बेचैनी दिखाई देती है बीते दिनों सरकार ने भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के लिए 17 आईकॉनिक टूरिस्ट साइट्स नामक पहल की शुरुआत की है
जिसने क्षेत्र में निजी निवेश पर जोर दिए जाने की बात कही जा रही है इस पहल के तहत विकास के लिए बनाए गए स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई और राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं केंद्रीय मंत्रालय राज्य सरकार के सहयोग से हस्तक्षेप करेगा और सभी विकास योजनाओं में सड़कों की सफाई का उपयोग व पर्यटकों के लिए सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्य करेगा अगर देखा जाए तो धरोहर अपनी पहचान योजना को 27 सितंबर 2017 को लांच किया गया लेकिन इसके परिणाम स्थिति को बताते हैं इसके अंतर्गत इसके अलावा केंद्र सरकार ने हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना यानी हृदय प्रसाद और स्वदेश दर्शन जैसी योजना की शुरुआत की जो सरकार के द्वारा उठाए गए सराहनीय कदम है
साथ ही हमें सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़े उपायों के लिए निजी करण को गंभीरता से लेना होगा और इस पर विचार करना होगा ताकि अपनी मंजिल को पाने में आने वाली कठिनाइयों से आसानी से निपटा जा सके इन सबके अलावा राज्य और स्थानीय सरकारों को धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिए आगे आना होगा स्वच्छता की जरूरत को समझ कर हर इंसान को अपनी जिम्मेदारी निभानी अध्यात्म और मूल्य पर आधारित जीवन शैली भारतीय culture का केंद्र बिंदु है वैज्ञानिक भारतीय नागरिक होने के नाते और समृद्ध cultural heritageपर गर्व होना चाहिए विकास कार्यों को बढ़ावा देना भी हमारा कर्तव्य होना चाहिए !
indian culture and heritage in hindi
Reviewed by GREAT INDIA
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March 15, 2020
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