mahabharat history in hindi
महाभारत का ऐतिहासिक अस्तित्व mahabharata
Mahabharat-महाभारत का ऐतिहासिक अस्तित्व सदा से ही लोगों के लिए विवादास्पद विषय रहा है और उससे भी विवादास्पद रहा है महाभारत काल का स्टिक निर्धारण !
Mahabharat-महाभारत केवल एक अनोखी कृति नहीं वरन हमारेे इतिहास का एक अविस्मरणीय चित्र है ! ASI यानि भारतीय पुुरात्त्व विभाग के वरिष्ट अधिकारियों नेे ताया है कि
Mahabharat-महाभारत काफी प्राचीन है और जितना हमेें ज्ञात है उससे भी काफी प्राचीन हो सकती है !
इतिहासकार पीएन ओक के अनुसार महाभारत का युद्ध 5561 ईसा पूर्व हुुुआ था !
इतिहासकार पीसी सेनगुप्ता के अनुसार महाभारत ज्योतिषीय संबंधी प्रमाण युुद्ध का समय 2449 ईसा पूर्व है !
वहीँ महान गनित्यज्ञ और खगोलविद आर्यभट के अनुसार
Mahabharat-महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पुुुर्व में हुुया !
Mahabharat-महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पुुुर्व में हुुया !
वहीं इतिहासकार बी०बी० लाल और पश्चिमी इतिहासकारों के शोध के अनुसार
Mahabharat-महाभारत 900 से 1000 ईसा पूर्व में हुयी थी ! अब आते हैं नऐ शोधों के अनुसार महाभारत अब 1500 से 2000 ईसा पूर्व घटित हुुुआ प्रतीत होता है !
यहां ये बताना आवश्यक है कि 2018 में उत्तर प्रदेश ऐ एस आई ने बागपथ में कांस्य युग के रथों के पहले भौतिक साक्ष्य का पता लगाया था !
इसे ऐ एस आई द्वारा एक अभूतपुुुर्व शोध के रूप में देखा गया और प्राचीन भरतीय इतिहास की कई धारणाओं को पूनः परिभाषित करने की आशा भी की गयी थी !
यह पहला ऐसा रथ था जो 1920 के दशक के सींधु घाटी सभ्यता केे अन्वेषण के बाद पाया गया था ! अवशेष सेेे पता चलता है
उस समय दो पहियों वाले खुले वाहन प्रयोग में लिए जाते थे जो एक व्यक्ति यानी एक सारथी द्वारा संचालित होता था ! पहिये एक निश्चित धुुुरी पर घूमते थे यही नहीं खनन केे समय जो अवशेष मिले हैं
वो ये संकेत देते हैं कि ये महाभारत काल के हैं
Mahabharat-महाभारत 900 से 1000 ईसा पूर्व में हुयी थी ! अब आते हैं नऐ शोधों के अनुसार महाभारत अब 1500 से 2000 ईसा पूर्व घटित हुुुआ प्रतीत होता है !
यहां ये बताना आवश्यक है कि 2018 में उत्तर प्रदेश ऐ एस आई ने बागपथ में कांस्य युग के रथों के पहले भौतिक साक्ष्य का पता लगाया था !
इसे ऐ एस आई द्वारा एक अभूतपुुुर्व शोध के रूप में देखा गया और प्राचीन भरतीय इतिहास की कई धारणाओं को पूनः परिभाषित करने की आशा भी की गयी थी !
यह पहला ऐसा रथ था जो 1920 के दशक के सींधु घाटी सभ्यता केे अन्वेषण के बाद पाया गया था ! अवशेष सेेे पता चलता है
उस समय दो पहियों वाले खुले वाहन प्रयोग में लिए जाते थे जो एक व्यक्ति यानी एक सारथी द्वारा संचालित होता था ! पहिये एक निश्चित धुुुरी पर घूमते थे यही नहीं खनन केे समय जो अवशेष मिले हैं
वो ये संकेत देते हैं कि ये महाभारत काल के हैं
सनोली में हुए खनन के आधार पर महाभार काल की 1500 से 2000 ईसा पूर्व की डेटींग है !
महाभारत |
अर्थात उत्खनन में मिले चबूतरे के ऊपरी भाग पर विशेष प्रकार की मानव कलाकृतियां बनाई गई हैं बीचमें पीपल के पत्ते और कुछ युद्ध की सामग्री भी दीखाई गयी है
जिससे लगता है कि किसी योद्धा का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया हो ! इसके अलावा एक खड्ग, कृपाण और मुकुट ने एक योद्धा होने की पुुष्टि की !
उस समय पुरातत्व विभाग ने ये पुष्टि की कि वो वीर योद्धा थे ! Mahabharat-महाभारत का और भी प्राचीन होना इसी उत्खनन से मिले रथ के अन्वेषण के आधार पर
सिद्ध किया गया ! संजय मंजुल के अनुुुसार 2018 में खोजा गया वो रथ अपनेआप में अनोखा है ! एडवांस टेस्टिंग के बाद पता चलता है कि एक अश्वरोही रथ है ! इससे इस रथ का सम्बन्ध
Mahabharat-महाभार से स्थापित होता है ! आगे मंजुल कहते हैंं कि हमने जो चाबुक खोजे हैं उनका उपयोग बैलों पर नहीं अशवों पर किया जाता था !
पहिये हों, धूरी हो या जुया हो सब ठोस अवस्था में पाये गये हैं ! तांबे के त्रिकोणों सहित हेलमेट और ढाल भी काफी परिष्कृत हैं !
जिससे लगता है कि किसी योद्धा का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया हो ! इसके अलावा एक खड्ग, कृपाण और मुकुट ने एक योद्धा होने की पुुष्टि की !
उस समय पुरातत्व विभाग ने ये पुष्टि की कि वो वीर योद्धा थे ! Mahabharat-महाभारत का और भी प्राचीन होना इसी उत्खनन से मिले रथ के अन्वेषण के आधार पर
सिद्ध किया गया ! संजय मंजुल के अनुुुसार 2018 में खोजा गया वो रथ अपनेआप में अनोखा है ! एडवांस टेस्टिंग के बाद पता चलता है कि एक अश्वरोही रथ है ! इससे इस रथ का सम्बन्ध
Mahabharat-महाभार से स्थापित होता है ! आगे मंजुल कहते हैंं कि हमने जो चाबुक खोजे हैं उनका उपयोग बैलों पर नहीं अशवों पर किया जाता था !
पहिये हों, धूरी हो या जुया हो सब ठोस अवस्था में पाये गये हैं ! तांबे के त्रिकोणों सहित हेलमेट और ढाल भी काफी परिष्कृत हैं !
सनोली में मिले अवशेष ऋग्वैदिक संस्कृति और हमारी सभ्यता की वो अदृश्य कड़ी ह जो अब मिल चुकी है !
रथों का उल्लेख ऋग्वेद, रामायण और महाभारत में मिलता है
सनोली गांव हड़प्पा सभ्यता के एक प्रमुख केेंद्र आलमगीरपुर से मात्र 36 किलोमीटर दूूूर है ! हड़प्पा सभ्यता की दूसरी अवधि 1800 से 1300 ईसा पूर्व की है इसलिए सनोली में हुए
खनन के आधार पर
Mahabharat-महाभार काल की 1500 से 2000 ईसा पूर्व की डेटींग है ! बागपत जो आलमगीरपुर से मात्र 31 किलोमीटर दूर है व्यग्रप्रस्त का नया रुप है
जो पांडवो द्वारा बसाया गया था ! महाभारत की घटनाओं का 2018 में हुुुए खनन के निशकर्ष से सिधा सम्बंध स्थापित होता है ! इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि
Mahabharat- महाभारत 1500 से 2000 ईसा पूर्व की हो सकती है और भूगोलिक रूप सेे भी ये सिद्ध होता है कि क्षेत्र कुरु जनपद का प्राचीन काल से एक केंद्र रहा है जिसकी
प्राचीन राजधानी इंद्ररपर्सथ रही है !नये पुराने सिद्धान्त आते जाते रहते है इससे सत्य का स्वरूप परिवर्तित नही होता ! जिसे आधुनिक विज्ञान सिद्ध नहीं कर सकता
उसे कपोल कल्पना या मिथया माना जाता है ! जो
Mahabharat- महाभारत इतिहासकारों के लिए 1000 ईसा पूर्व पूराना था आज वह उनके लीये 2000 ईसा पूर्व पुराना हैै !
सम्भव है कि नये खनन हों और नये शोद्ध हों और हमें महाभारत केे वास्तविक काल का पता चले !!
सनोली गांव हड़प्पा सभ्यता के एक प्रमुख केेंद्र आलमगीरपुर से मात्र 36 किलोमीटर दूूूर है ! हड़प्पा सभ्यता की दूसरी अवधि 1800 से 1300 ईसा पूर्व की है इसलिए सनोली में हुए
खनन के आधार पर
Mahabharat-महाभार काल की 1500 से 2000 ईसा पूर्व की डेटींग है ! बागपत जो आलमगीरपुर से मात्र 31 किलोमीटर दूर है व्यग्रप्रस्त का नया रुप है
जो पांडवो द्वारा बसाया गया था ! महाभारत की घटनाओं का 2018 में हुुुए खनन के निशकर्ष से सिधा सम्बंध स्थापित होता है ! इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि
Mahabharat- महाभारत 1500 से 2000 ईसा पूर्व की हो सकती है और भूगोलिक रूप सेे भी ये सिद्ध होता है कि क्षेत्र कुरु जनपद का प्राचीन काल से एक केंद्र रहा है जिसकी
प्राचीन राजधानी इंद्ररपर्सथ रही है !नये पुराने सिद्धान्त आते जाते रहते है इससे सत्य का स्वरूप परिवर्तित नही होता ! जिसे आधुनिक विज्ञान सिद्ध नहीं कर सकता
उसे कपोल कल्पना या मिथया माना जाता है ! जो
Mahabharat- महाभारत इतिहासकारों के लिए 1000 ईसा पूर्व पूराना था आज वह उनके लीये 2000 ईसा पूर्व पुराना हैै !
सम्भव है कि नये खनन हों और नये शोद्ध हों और हमें महाभारत केे वास्तविक काल का पता चले !!
mahabharat history in hindi
Reviewed by GREAT INDIA
on
March 12, 2020
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