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hemchandra vikramaditya in hindi



hemchandra vikramaditya in hindi 


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रण कौशल असाधारण और राजनैतिक परिपक्वता अद्भुत ! 

बात 1526 ई• की है दिल्ली के तख़्त सेे उत्तर भारत की कमान लोधी वंश के हाथ मे थी ! सबकुछ कमोवेश अपनी गति पर ही चल रहा था 

की बाबर नाम के एक मध्य एशिया के कबीलाई लड़ाके ने भारत पर आक्रमण कर दीया ! इस लड़ाई को आगे  चलकर पानीपत  की

पहली लड़ाई के रूप  में जाना जायेेगा ! लड़ाई में इब्रााहीम लोधी की पराजय हुई और भारत में हुई मुुगल वंश की स्थापना ! 

बाबर हालाँकि ज़्यादा दिनों तक जीवित नही रह पाया और उसकी मृत्यु हुयी 1531 ई• में ! उसके बाद सत्ता आयी हुमायू के हाथ में

 जो स्वभाव से डरपोक और अपरिपक्व था ! इसका फायदा उठाया शेरशाहसुुुरी ने जो इब्राहीम लोधी का सिपहसालार था ! 

शेरशाहसूरी ने फ़ौज इकट्ठी करके हुुम्यु पर हमला बोल दीया ! चौसा और कन्नौज   में लड़ाइयाँ हुुइ  और हुुुई हुमायू की शर्मनाक हार !

हुमायू जान बचाकर  ईरान की ओर भाग गया ! 1540 ई• में  शेरशाहसूरी ने खुद को शाहंशाह घोषित कर दिया ! वो मुगलो से थोड़ा बेहतर ज़रूर था 

लेकिन राज्य के हिन्दूओ की दशा में कोई सुधार नहीं आया ! 

यहीं से शुरू होती है hemchandra vikrmadity हेमचंद्रर विक्रमादित्य की असली कहानी !
दिल्ली से लगभग पचास मील दूर आज के

हरियाणा के रेवाड़ी में एक बालक बड़ी  तेजी से कामयाबी की सीढ़ियां  चढ़  रहा था ! पहले शेरशाह की सेना मेंं सब्जिया और अना पहुचा वाले इस व्यक्ति ने बाद में

बारूद के मसाले पहुचाने शुरू कीये और इनकी दोस्ति हुुयी शेेरशाह के बेेटे इस्माइल शाह से !1545 में शेरशाह की मृत्यु के बाद इस्माइल बना शाहंशाह और
hemchandr हेेेमचंद्र शाहंग- ए - बाज़ार यानि बाज़ार के अधीक्षक ओर ये तो बस शुरुआत थी hemchandra  हेमचंद्र की सूूूझ-बुझ देख इस्माइल ने पहले उन्हें

दरोगा-ए-चोकी  बनाया और बाद में पंजाब का नियंत्रक ! फिर 1553 में हुुयी इस्माइल की मौत और शुरू हुई दिल्ली के तख्त के लिए   उठापटक !

 इस्माइल के 12 वर्ष के पुत्र फिरुज़ की हत्या इस्माइल के भतीजे आदिल शाह ने कर दी ! आदिलशाह शहनशाह  तो बन गया लेकिन शासन करना उसे आता नहीं था !

सूर्य वंश मेंं  फूट होते देेेर नहीं लगी   वंश के चार टुकड़े हो गए और  आदिल के हाथ रह गया बिहार से लेकर आगरा तक का टुकड़ा तब
hemchandra हेमचंद्र आदिलशाह के दरबार में  प्रधानमंत्री थे ! इसके साथ आदिलशाह की सेना की  बागडो भी उन्ह्ही के हाथ में थी ! हेमचंद्र ने सूर्यवंश के कई विद्रोहियों को हराया

जिसमें आदिलशाह का जीजा सिकंदर सूरी भी था ! लगाातार बाईस युद्धों में मिली विजय से सेना का विशवास hemchandra हेमचंद्र में बहुत बढ़ गया था लेकिन

दिल्ली के तख़्त पर अभी तक इब्राहीम सूरी बैठा था  ! इब्रााहीम सूरी को हराने के बाद सिकंदरसुरी ने दील्ली का तख़्त हथिया लिया ! 

इस पारिवारिक कलह के बीच होने वाली थी एक पुराने दुश्मन की वापसी ! ईरानियों से मिली मदद से ताकतवर हुए हुमायू ने भारत पर आक्रमण कर दिया

और पहले सेे ही टूटे हुए सूर्यवंश को मिट्टी में मिला दीया ! एक बार फिर दिल्ली के तख़्त पर मुगलों का शासन  था  लेकिन अपने पिता बाबर की तरह

हुमायू का भी शासन ज़्यादा दिन तक टिक नहीं पाया और 1556 में उसकी मौत हो गयी ! जब हुमायू  की मौत हुुयी तब hemchandra हेमचंद्र बंगाल में थे

 और ये समय किसी और की नहीं बल्कि अपनी स्वयं की लड़ाई लड़ने का था ! 

hemchandra हेमचंद्र ने शुरू किया मुग़ल वंश के ख़िलाफ़ अपना अभियान ! बंगाल से बिहार , बिहार से उत्तरप्रदेश, उत्तरप्रदेश से मध्यप्रदेश और फिर आगरा अंतत:  दिल्ली !

जैसे इंद्रदेव असुर समूह को नष्ट कर देते हैं  वैसे ही hemchandra हेेमचंद्र ने मुगलों को तीतर बितार कर दीया और फिर शुरू हुई आखिरी लड़ाई !
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सामने था बैरम खान मुगलों का प्रसिद्ध सेनापति और दुरी ओर स्वयं हेमचंद्र ! मुग़ल सेना भारी पर रही थी ! जैसे ही उन्हें लगा वो जीत रहे हैं

स्वभाव के अनुसार मुगलों ने लूट - पाट मचानी शुरू कर दी और इसी की ताक में बैठे हेमचंद्र  को मौका मिल गयाा ! लूट -पाट मेंं मगन मुुगलों पर

hemchandra हेेेचंद्र की एक सेेेना ने जबर्दस्त आक्रमण कर दीया और वही हुुुआ जिसकी आशंका थी ! मुग़लो की लज्जाजनक पराजय और

भारत को मिला एक नाया सम्राट !
सनातन रीती के अनुसार हेमचंद्र का राज्यभिषेेेक हुुुया और साथ ही मिला उनहें विक्रमादित्य का नाम !

350 साल के लंबे अंतराल के बाद दिल्ली मेंं एक हिन्दू साशक आया था ! उनकी सेेेना में अफगान और हिन्दू दोनो सैनिक थे और दोनों अपने राजा पर

प्राण न्यौछावर करने को तत्तपर  रहते थे !  hemchandra vikrmaditya हेमचंद्र विक्रमादित्य को                           वाणिज्य और व्यापार  की बहुत अच्छि समझ थी

और इसका साफ़ साफ़ असर दिखा उनके राज में !
मुनाफाखोरी की रोकथाम से लेकर बाज़ार की  सारी कुरीतियों पर लगाम लगा दी गयी !

hemchndra हेमचंद्र ने नए सिक्के चलाये जिस्से उनकी कीरति दूर-दूर तक फैली !
लेकिन भाग्य कुछ अलग ही लिख रहा था ! मुग़ल वंश का

किशोर उत्तराधिकारी अकबर दिल्ली के तख़्त पर बैठने की बाट जोह रहा था और बैरम खान उसका सेनापति और साथ ही उसका अभीभावक मौके की तलाश में था !

नवंबर 1556 में  शुरू हुई पानीपत की दूसरी लड़ाई !
एक तरफ थी हेमचंद्र की विशाल सेना और उसका सञ्चालन करते हुए खुद हेमचंद्र और दूसरी तरफ मुगलों की सेना !

बैरम खान जिसे पहले हेमचंद्र के हाथों करारी हार मिल चुकी थी वो अकबर के साथ युद्ध छेत्र से 8 मिल दूर खड़ा था और वही हुआ जिसकी आशंका थी !

hemchndra हेमचंद्र की सेना ने  मुुुग़लो  को रौंद डाला ! 
मद की धारा बाहते हूए विशाल गजराज पर बैैैठे सम्राट मुस्कुरा रहे थे विजयश्री मानो

बस अब उनका वरण करने ही वाली थी ! उनकी सेना ने आज अदम्य साहस और अध्बुद्ध रण कौशल का परिचय दिया था ! मुुगलों की सेना के पाँव उखड़ चुके थे

 कोई चीत्कार कर रहा था तो कोई उल्टे पाँव भाग रहा था ! सम्राट की सेना अविचलित समुद्र की भांति बढ़ी ही जा रही थी ! ओर एक तीर नाजाने कहाँ से उड़ता हुुुआ आया

 और सम्राट की बायीं आँख को चीरता हुुुया अंदर तक घुुुस गया ! सम्राट की आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया और उनका अंग अंग पीड़ा से कांप उठा और

सम्राट हाथी से नीचेे गिर पड़े ! ये तीर कोई मामूली तीर नहीं था क्योंकि उस तीर ने भारत को हमेसा के लिए बदल कर दिया ! hemchandra हेेेमचंद्र को बंदी

बनाया गया और फिर की गई उनकी हत्या ! अकबर बना नया बादशाह और पुनः स्थापना हुुुई भारत में मुुुुग़ल वंश की ! सोचिये अगर वो तीर नीशाने से चूक जाता तो क्या होता ?

हुमायू के बाद मुुुग़ल वंश का नामोनिशान भारत से मिट जाता ! एक व्यापारी बुद्धि वाले योद्धा राजा का देश न सिर्फ शक्तिशाली होता बल्कि समृद्ध भी होता !

ओरंंगजेब नहीं आता और उसके शासन में टूटने वाले मंंदीर भी नहीं टूटते !ना होता जबरन धर्मान्तरण और ना खड़ी होतीं मज़हब के नाम पर दीवारें !

दक्षिण भारत के राजाओं के साथ हेमचंद्र का उत्तर भारत विश्व का सबसे शक्तिशाली देश होता ! जहाँ शायद ब्रीटीश कभी घुसने की नहीं सोचते और

शायद ये देेेश कभी पड़तन्त्र नहीं होता और जैसे पहले भारत विश्व का बौद्धिक और संस्कृतिक बिंदू था वैसे आज भी होता ! ये थी महान सम्राट 

hemchandra हेमचंद्र विक्रमादित्य की कहानी जिसकी गौरव गाथा सदीयों तक सुुनी व सुनाई जााएगी !
hemchandra vikramaditya in hindi hemchandra vikramaditya in hindi Reviewed by GREAT INDIA on March 10, 2020 Rating: 5

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