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pv narasimha rao biography in hindi

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pv narasimha rao biography in hindi


pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव का जीवन  कहानी है एक योद्धा की, एक राजनेता की, एक विलक्षण बुद्धधजीवी की और कहानी एक युगपुुरुष की ! 

 pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव का  जन्म  28 जून 1921 में आंध्रप्रदेश के करीमनगर ज़िले के वंगारा गाँव केे एक मध्यम वर्गीय ब्राह्म परिवार में हुआ 

श्री पामुलपति वेकेंट नरसिम्हा राव  पढ़ने-लिखने में  बचपन सेे ही बूद्धिमान थे ! pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव  जहां संस्कृत में पारंगत थे वहीँ उर्दूू ओर फ़ारसी पर भी उनकी पकड़ कुछ कम नहीं थी !
  
स्वतंत्रता के भी पहले से ही निज़ाम की फ़ौज पर छुप छुप कर आक्रमण करने वाले pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव जन्म जात रााष्ट्रवादी थे ! 

कोंग्रेस मेंं उनका पदार्पण स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही हुआ !
सितंबर 1971 में वे इंद्रागांधी द्वारा आंध्र के मुख्यमंत्री नियुक्त किये गए !

 तेलंगाना क्षेत्र में लगातार कमजोर हो रही कोंग्रेस को एक क्षेत्रीय चहरा चाहिए था! pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव में इंद्रागाँधी को  वही चेहरा दीखा ! 

भूमि सुधार कानूूून की लेकर उनके केेेद्र के साथ मतभेद हो गए और उसका परिणाम ये हुुया के उन्हें मुख्यमंत्री बनने के दो साल बाद ही जनवरी 1973 में त्यागपत्र देेना पड़ा ! 

पर जो हार जाये वो नरसिम्हा राव नहीं  !अभी तो बस आरमभं मात्र था अपनी लम्बी राजनैतिक यात्रा में उन्होने गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय जैसे 

महत्वपूर्ण मंत्रालयों का संचालन किया ! राजनीती में 40 वर्ष से ज़्यादा बिता चुके pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव  वानप्रस्त की त्येयारी में थे ! 

लूूटियन्स के बंगलों  से भारीभरकम  फर्नीचर ओर मूर्तियां हटाने में महारथी Roze removers package removers के कर्मचारी राव का बंगला  खली करवा रहे थे लेकिन 

यहां न तो भरी फर्निचर था और ना कोई  महंगी मूर्त्ति ! बंगले का हर एक  कोना किताबों से भरा पड़ा  था ! हज़ारों क़िताबें यहां से उठाकर 1500 किलोमीटर दूर 

हैदराबाद लेजाने की तैय्यारी हो रही थी ! 1991 का साल था ओर देश में चुनाव का पहला चरण हो चूका था जिसमे कांग्रेस के आसार बिलकुल अच्छे नही दिख रहे थे !

1991 में ही pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव          का वनवास आरम्भ होने वाला था लेकिन अचानक एक समाचार ने देश ही क्या विशव को हिलाकर रख दिया !

21 मई 1991 को हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और देश की राजनीती में मानो भुचाल आ गया ! कोग्रेस को  नया अध्यक्ष चाहिए था और  देेश को नया प्रधानमंत्री !

राव के महत्वकांक्षी व्यक्तित्व ने सोचा अभी कुुुछ दीन और ठहर सकते हैं ! पार्टी के वरिष्ट्ठ नेेता अर्जुुुन सिंह ने राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी को

अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा पर राजनैैतिक रूप से अपरिपक्व सोनिया गांधी ने साफ़ साफ़ मना कर दीया ! अब कोंग्रेस के पास बचे सिर्फ तीन दावेदार

अर्जुुुन सिंह, माधव राव सिंधिया और स्वयं  pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव सोनिया गांधी  को नरसिम्हा राव सबसे ज्यादा जचे कुछ लोगों ने तो ये तक कह दिया

कि हृदय रोग से  पीड़ित राव ज़्यादा दिनों के महमान नहीं हैं और वो बस सोनिया जी की राजनैैतिक गद्दी शुरक्षित रखेंगे और इस प्रकार बने राव कोंग्रेस के अध्यक्ष

 लेकिन सामने थी चुनाव की  कठिन परीक्षा ! राजीव गाँधी के मरने से पहले जो कांग्रेेेस हार रही थी उसे   सहानुभूति मिली ओर वो सबसे बड़ी पार्टी बनकर  उभरी !

18 जून 1991 को चुनाव के फैसले आये और कांग्रेस नेे 244 सीटों के साथ सरकार बनाने की दावेदारी  पेश की ! भाजपा ने 120 सीटों के साथ हर चुनावी विश्लेषक को चोंका दिया था

और एक लेफ्ट समर्थित वी०पी० सिंह की जनता दल के पास थी 69 सीटें ! राव को पता था कि अगर वो प्रधानमंत्री चुने भी गये तो इतने मजबूत विपक्ष के साथ सरकार

चलाने में बहुत कठिनाइयां आएँगी लेकिन प्रधानमंत्री बनने की राह में सबसे बड़े रोड़े थे कोंग्रेस के कद्दावर नेता शरद पवार जिनका न सिर्फ जनता के साथ मजबूत सम्बन्ध था

बल्कि वहां के उद्योगप्ति भी उनके गुण गाते थे ! शारद पवार के महत्वकांक्षी स्वभाव ने उनकी दावेदारी कमजोर की और

शांत और गंभीर स्वभाव के वृद्ध pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव ने दी उन्हें ज़ोरदार पटकनी !
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 21 जून 1991 को   pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव देश के 9 वें प्रधानमंत्री !


लेकिन जहाँ एक ओर संसद में राव के पास संख्याबल नहीं था वहीं कश्मीर,पंजाब और आसाम आतंकवाद की आग में जल रहे थे ! जहां तक विश्व की बात करेें तो

 भारत के पुराने साथी सोवियतसंघ के टूकड़े हो चुके थे और पाकिस्तान ओर अमरीका के रिश्ते मजबूत हो रहे थे और खाड़ी युद्ध अभी तक चल रहा था ओर इस सब के कारण

 देेेश अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुज़र रहा था ! राजीव गांधी की क़र्ज़ लेकर  वापिस ना लौटाने वाली नीतियों के कारण देेेश की विस्वनियता अपने न्यूनतम स्तर पर थी !

कुलमिलाकर भारत आर्थिक पतन की कगार पर खड़ा था ऐसे में pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव को ज़रूरत थी के ऐसे वित्तमंत्री की अच्छि अंतर्राष्ट्रीय छवि हो !

  pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव ने न्यौता दीया आर बी आई के पूर्व गवर्नर श्री आई जी पटेल को पर पटेल ने साफ़ साफ़ मना कर दीया !

फिर आर बी आई के एक और पूर्व गवर्नर  और अर्थशाश्त्र नीति के विद्वान् मनमोहन सिंह को निमंत्रण दीया गया ओर मनमोहन सिंह ने निराश नहीं किया !

 उसके बाद शुरू हुयी भारतीय इतिहास की सबसे बड़े आर्थिक सुधार की तैय्यारी !जुलाई 1991 में रूपए का दो बार अवमूल्यन किया गया !

सरकारी कोष पर बोझ बने केश कोम्पनसेट्री स्कीमम को हटाया गया  और फिर मारा गया नेहरु इंंदिरा की विरासत की दीवार में पहला हथोड़ा !

आंतरिक उदारिकरण  का समय था और उदारीकरण नेहरू इंंदिरा के लाइसेंस परमिट राज को हटाये बििना सैमभाव नहीं था !

जिन व्यापारीयों को बाजार में व्रर्चस्व से फ़ायदा होता था और जिनके कीई नेेताओं के साथ साठगांठ थे उन्होंनेे बहुत हल्ला मचाया लेेकिन pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव  अडिग रहे

और फिर खोला गया भारत के बाज़ारों को विश्व के लिये ! राव की सूूूझबूझ और मनमोहन की कुशलता ने मनो कमाल ही कर दिया ! भारत धीर धीरे अपने आप को सँभालने लगा !

घटिया सामानों से भरे पड़े बाज़ारों में अंतर्राष्ट्रीय सामान आने लगा ! नए अवसर खुले  नयी नोकरियां आयी !pvnarasimha rao पी वी नरसिंह राव

कार्यकाल में ही बी० एस० सी० और एन० एस०सी० दोनों बड़े स्टॉक एक्सचेंज को विधिसंगत रूप दीया गया और  एक बात जो सबको बाद में पता चली

जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहरी वाजपाई ने सबको बाद में बताया की भारत के न्यूक्लिअर प्रोग्राम का असली श्रेय उन्ही को जाता है ! 

परंतु भाग्य शायद राम के वनवास के स्वप्न को सच में बदलना चाहता था ! 1996 के आम चुनाव में कोंग्रेस चुनाव हार गई और भारत के राजनैतिक पटल  पर हुुया

भाजपा के कमल का प्रस्फुुुटन ! हारने के बाद  चुनावी समीक्षा के लिए  pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव               ने घर पर एक चाय पार्टी  राखी जो उन्हें रद्द करनी पड़ी !

उसकी वजह ये  थी की कोई भी कॉंग्रेसी नेेता अब उनके साथ दिखना नहीं चाहता था ! उनपर बाबरी मस्जिद  को गिराने के आरोप लगे और

उत्तरप्रदेश सेे कांग्रेेेस के सदा के लिए पलायन का ठीकरा भी उनहीं के सर पर फोड़ा गया ! झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विधयकों के खरीद फरोख्त से लेकर

 हर्षद मेहता से रिश्वत खाने तक के आरोप उनपर लगे ! यूरिया खरीद में हेरफेर को लेकर उनके पुत्र प्रभाकर राव को जेल में डाल   दिया गया !

अंत तक एक भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया लेकिन  एक अकेला वृद्ध हर पेशी में अपनी सफाई ने जाता  रहा ! उसके साथ कोई नहीं होता था

ना कोई सााहयोगी नेेता ना कोई मित्र ! 
23 दिसम्बर 2004 को दिल का दौरा पड़ने से  pvnarasimha rao पी वी नरसिंह राव  की मृत्यु हुुयी !

मुझे मेरा गांव  वंजारा दीख रहा है शायद  मेरी माँ भी यहीं है ! ये थे उनके आखरी शब्द !अगर आज आप महंगे कपड़े, जूूते और घड़ियां पहनते हैैं

 तो एक बार pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव  धन्यवाद अवश्य करेें ! अगर  आज आप आपन व्यवसाय करते हैैं

तो एक बार pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव    का धन्यवाद अवश्य करें !

pv narasimha rao पी वी नरसिंह राव एक व्यक्ति एक प्रधानमंत्री मात्र नहीं थे बल्कि वे आधुनिक भारत के जनक हैं, 

भारत केे पुनर्निर्माण के वास्तुकार हैं और एक युुुगपुरुष हैं ! अगर दुःख  है तो इस बात का की जिस व्यक्ति नेे हमें एक उज्जवल 

भविषय दीया उसी की पार्टी  उसे अकेला लड़ने  को और अकेला मारने को छोड़ दीया ! जब उनकी मृत्यु हुुुई तब भी 

उन्हें वो सम्मान नहीं दिया गया जिसके वो हक़दार थे ! ये थी कहानी भारत  के युगपुरुष श्री पामुलपति वेकेंट नरसिंह राव की !!

pv narasimha rao biography in hindi pv narasimha rao biography in hindi Reviewed by GREAT INDIA on March 10, 2020 Rating: 5

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